पृथ्वीराज द्वितीय Prithviraja II (Prithviraj II) (1165-1169 ई.) जिसको इतिहास में पृथ्वी-भट्ट, पृथ्वी-देव, पेथड़-देव (Prithvi-Bhatta, Prithvi-Deva and Pethad-Deva) के नाम से भी जाना जाता है, चाहमान वंश Chahamana Dynasty चौहान राजवंश Chauhan Dynasty के एक भारतीय राजा थे।
लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि पृथ्वीराज द्वितीय (Prithviraja II), चौहान इतिहास में कलंकित पितृहन्ता राजा जगद्देव (Jagaddeva) का पुत्र था। पृथ्वीराज द्वितीय (Prithviraja II), ने अपने पिता राजा जगद्देव (Jagaddeva) के अपमान का बदला लेने के लिए एक विशाल सेना खड़ी की, और अमरगांगेय चौहान Amaragangeya Chauhan (Son of Vigraharaja iv (Visaladeva)) को सत्ता से विहीन कर अजमेर की गद्दी हथिया ली। पृथ्वीराज द्वितीय (Prithviraja II) ने वर्तमान राजस्थान सहित उत्तर-पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों पर शासन किया।
जैसा कि आपको इसी सीरीज के पिछले आर्टिकल में बताया गया था कि अमरगांगेय चौहान Amaragangeya Chauhan (Son of Vigraharaja iv (Visaladeva)) के द्वारा 1164 से 1165 ई.(कुल 1 वर्ष) तक शासन किया था।
इस घटना के ऐतिहासिक साक्ष्य ‘धोद के रूठी रानी मंदिर‘ में मिले एक ‘शिलालेख’ से मिलते हैं इस शिलालेख के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय Prithviraj II ने शाकंभरी के राजा को हराया था। जो कि अपरागांगेय (Aparagangeya) था। इससे पता चलता है कि पृथ्वीराज द्वितीय ने अपरागांगेय को गद्दी से उतार दिया और खुद चाहमान (चौहान) राजा बन गये। पृथ्वीराज द्वितीय की रानी सुहावदेवी (सुधावा) थी। दोनों ही कट्टर शैव थे।
Table of Contents
TogglePrithviraja II का शासनकाल -
इतिहासकार एच चौधरी ‘हांसी के शिलालेख‘ के गहन अध्यन के उपरान्त बताते हैं कि पृथ्वीराज द्वितीय को अपने शासन काल में पश्चिम से मुस्लिम आक्रमणों का सामना करना पड़ा था। इसी कड़ी में 1168 ई. के हांसी शिलालेख के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय ने अपने मामा किल्हाना को आशिका किले (आधुनिक हांसी) का प्रभारी नियुक्त किया था, जो इसे हम्मीरा (अमीर) से बचाने के लिए उत्सुक था। लेकिन ध्यान दीजिये “हम्मीरा” की पहचान डॉ दशरथ शर्मा सहित कई इतिहासकार ‘गजनवी राजा खुशरो मलिक (खुशरू शाह)‘ से करते हैं, जो उस वक्त लाहौर का शासक था।
हांसी शिलालेख में यह भी कहा गया है कि पृथ्वीराज द्वितीय के मामाश्री ‘किल्हाना’ ने पंचपुरा (आधुनिक पंजौर) नामक शहर को जला दिया था।पंचपुरा / पंजौर के शासक ने पृथ्वीराज द्वितीय की अधीनता स्वीकार कर ली और उन्हें एक महँगा मोती का हार भेंट स्वरुप सम्मान में दिया।
बिजोलिया शिलालेख में कहा गया है कि पृथ्वीराज द्वितीय Prithviraj II ने वसंतपाल नामक शासक से ‘मनहसिद्धिकारी’ नामक एक हाथी हासिल किया था। दशरथ शर्मा इस वसंतपाल की पहचान ललिता-विग्रहराज-नाटक नाटक में वर्णित विग्रहराज की प्रेमिका देसलदेवी के पिता से करते हैं। शर्मा का मानना है कि अपरागांगेय चौहान इसी देसलादेवी के पुत्र थे। इस प्रकार, वसंतपाल संभवतः पृथ्वीराज का शत्रु था, और उसके वश में था।
इतिहासकारों एवं साक्ष्यों के आधार पर पृथ्वीराज द्वितीय की मृत्यु संभवतः बिना किसी उत्तराधिकार के हुई, जिसके कारण आगे चलकर उनके चाचा सोमेश्वर चौहान को अजमेर Chahamana Dynasty / Chauhan Dynasty का उत्तराधिकारी बना लिया गया।

Prithviraja II के शिलालेख -
पृथ्वीराज द्वितीय Prithviraja II के शासनकाल के शिलालेख निम्नलिखित स्थानों पर पाए गए हैं:
- हांसी शिलालेख, 1167 ई. (1224 विक्रम संवत)
- धोद शिलालेख, 1168 ई. (1225 विक्रम संवत)
- मेनाल शिलालेख, 1168 ई. (1225 विक्रम संवत) और 1169 सी.ई. (1226 विक्रम संवत)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर Prithviraja II
1. अमरगांगेय चौहान Amaragangeya उर्फ अपरागांगेय Aparagangeya चौहान के बाद कौन राजगद्दी पर बैठा ?
उत्तर: पितृहन्ता राजा जगद्देव (Jagaddeva) का पुत्र ‘पृथ्वीराज द्वितीय’ ही अमरगांगेय चौहान अमरगांगेय के बाद कौन राजगद्दी पर बैठा।
2. किस चौहान शासक ने अमरगांगेय चौहान को मारकर चौहान सत्ता पर कब्जा कर लिया और खुद को राजा घोषित कर दिया था ?
उत्तर: अमरगांगेय चौहान के चचेरे भाई पृथ्वीराज द्वितीय, ने अपने पिता जगद्देव का बदला अमरगांगेय चौहान से लिया। इतिहासकार एच चौधरी के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय, विग्रहराज चतुर्थ के भाई जगद्देव (पितृहन्ता) के पुत्र थे, पृथ्वीराज द्वितीय, ने अमरगांगेय चौहान को मारकर चौहान सत्ता पर कब्जा कर लिया और खुद को राजा घोषित कर दिया।
3. किस जगह मिले शिलालेख के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय ने शाकंभरी के राजा अमरगांगेय चौहान को हराया था ?
उत्तर: धोद (जहाजपुर भीलवाड़ा) के रूठी रानी मंदिर में मिले एक शिलालेख के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय ने शाकंभरी के राजा अमरगांगेय चौहान को हराया था।
4. बिजोलिया शिलालेख के अनुसार पृथ्वीराज द्वितीय ने वसंतपाल नामक शासक से कौनसा हाथी हासिल किया था ?
उत्तर: ‘मनहसिद्धिकारी’ नामक एक हाथी हासिल किया था।
5. पृथ्वीराज द्वितीय की मृत्यु संभवतः बिना किसी उत्तराधिकार के हुई, जिसके कारण आगे चलकर किसको अजमेर का उत्तराधिकारी बना लिया गया।
उत्तर: पृथ्वीराज द्वितीय की मृत्यु संभवतः बिना किसी उत्तराधिकार के हुई, जिसके कारण आगे चलकर उनके चाचा सोमेश्वर चौहान को अजमेर का उत्तराधिकारी बना लिया गया।
6. पृथ्वीराज द्वितीय Prithviraja II के शासनकाल के शिलालेख किन स्थानों पर पाए गए हैं ?
उत्तर: हांसी शिलालेख, 1167 ई. (1224 विक्रम संवत) एवं धोद शिलालेख, 1168 ई. (1225 विक्रम संवत) एवं मेनाल शिलालेख, 1168 ई. (1225 विक्रम संवत) और 1169 सी.ई. (1226 विक्रम संवत)