अमरगांगेय चौहान Amaragangeya (1164-1165 ई.), जिसको इतिहास में अपरागांगेय Aparagangeya (अमरगांगेय) के नाम से भी जाना जाता है, अमरगांगेय, चाहमान वंश Chahamana Dynasty (चौहान राजवंश Chauhan Dynasty) के धुरंधर राजा विग्रहराज चतुर्थ उर्फ बीसलदेव (Vigraharaja IV, also known as Vighraraja the Great, and also Visaladev) चौहान का ज्येष्ठ पुत्र था। उन्होंने वर्तमान राजस्थान सहित उत्तर-पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों पर कुछ समय के लिए शासन किया। जैसा कि आपको इसी सीरीज के पिछले आर्टिकल में बताया गया था कि विग्रहराज चतुर्थ उर्फ बीसलदेव चौहान के द्वारा 1158 से 1163 ई.(कुल 5 वर्षो) तक शासन किया था।
विग्रहराज चतुर्थ उर्फ बीसलदेव चौहान के बाद उनका ज्येष्ठ पुत्र अमरगांगेय चौहान (अपरागांगेय) नाबालिग के रूप में सिंहासन पर बैठा था और उसने बहुत ही कम समय तक शासन किया था। क्युकि उनके चचेरे भाई पृथ्वीराज द्वितीय, ने अपने पिता जगद्देव का बदला अमरगांगेय चौहान से लिया। इतिहासकार एच चौधरी के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय, विग्रहराज चतुर्थ के भाई जगद्देव (पितृहन्ता) के पुत्र थे, पृथ्वीराज द्वितीय, ने अमरगांगेय चौहान को मारकर चौहान सत्ता पर कब्जा कर लिया और खुद को राजा घोषित कर दिया।
धोद (जहाजपुर भीलवाड़ा) के रूठी रानी मंदिर में मिले एक शिलालेख के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय ने शाकंभरी के राजा अमरगांगेय चौहान को हराया था। यह इंगित करता है कि पृथ्वीराज द्वितीय ने अमरगांगेय चौहान को सिंहासन से हटा दिया, और खुद चाहमान राजा बन गए। 15वीं शताब्दी के कश्मीरी इतिहासकार जोनाराजा के अनुसार, अमरगांगेय की मृत्यु अविवाहित हुई थी।
विशेष टिपड्डी – जगा जाति जो क्षत्रियों की प्रत्येक वंशावली को लिखकर रखने का पारंपरिक काम करते थे। उनके अनुसार अजयराज चौहान के दरबार में कई जाट योद्धा सेनापतियों एवं सामंतो जैसे उच्च पदों पर रहे तथा अजयराज के बाद अर्णोराज के समय में इन्ही जाट योद्धाओं ने युद्ध में लाखों मुस्लिम तुर्को को मौत के घाट उतारा था। फलस्वरूप अर्णोराज ने इन जाट सामंतो को नागौर एवं सीकर में जागीरें बतौर ईनाम स्वरुप प्रदान कर सम्मान जताया। और विग्रहराज चतुर्थ के समय दिल्ली पर अधिकार करने में भी इन्ही सामंतो ने पीढ़ीगत वफादारी के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर अपनी वीरता का परिचय दिया।
लेकिन अमरगांगेय की मृत्यु के बाद इनको दरबार से निकाल दिया गया। लेकिन आगे चलकर पृथ्वीराज तृतीय को तरायन के प्रथम युद्ध के दौरान इन्ही को वापस बुलाना पड़ा और युद्ध जीतने पर इनको आगरा के भमरौली कटरा ठिकाने की सरदारी प्रदान की। जहां से इनकी पीढ़ी आगे चलकर ग्वालियर को फतह कर खुद को ग्वालियर का राजा घोषित कर लेती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर Amaragangeya
1 विग्रहराज चतुर्थ उर्फ बीसलदेव चौहान के बाद कौन राजगद्दी पर बैठा ?
उत्तर: अमरगांगेय चौहान Amaragangeya (1164-1165 ई.), जिसको इतिहास में अपरागांगेय Aparagangeya के नाम से भी जाना जाता है।
2. किस चौहान शासक ने अमरगांगेय चौहान को मारकर चौहान सत्ता पर कब्जा कर लिया और खुद को राजा घोषित कर दिया था ?
उत्तर: अमरगांगेय चौहान के चचेरे भाई पृथ्वीराज द्वितीय, ने अपने पिता जगद्देव का बदला अमरगांगेय चौहान से लिया। इतिहासकार एच चौधरी के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय, विग्रहराज चतुर्थ के भाई जगद्देव (पितृहन्ता) के पुत्र थे, पृथ्वीराज द्वितीय, ने अमरगांगेय चौहान को मारकर चौहान सत्ता पर कब्जा कर लिया और खुद को राजा घोषित कर दिया।
3. किस जगह मिले शिलालेख के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय ने शाकंभरी के राजा अमरगांगेय चौहान को हराया था ?
उत्तर: धोद (जहाजपुर भीलवाड़ा) के रूठी रानी मंदिर में मिले एक शिलालेख के अनुसार, पृथ्वीराज द्वितीय ने शाकंभरी के राजा अमरगांगेय चौहान को हराया था।
4. किस जाति के सामंतो एवं सेनापतियों ने अजयराज चौहान, अर्णोराज चौहान, विगृहराज चौहान एवं पृथ्वीराज तृतीया के साथ विभिन्न युद्दों में भाग लिया और चौहानों को विजय दिलाई?
उत्तर: जाट जाति के भमरोलिया सामंतो एवं हांसेलिया जाट सेनापतियों ने अजयराज चौहान, अर्णोराज चौहान, विगृहराज चौहान एवं पृथ्वीराज तृतीया के साथ विभिन्न युद्दों में भाग लिया और चौहानों को विजय दिलाई।
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